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Triveni Katha-Kanan

Triveni Katha-Kanan

SKU: 9789355971098
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यह बीस कहानियों का ऐसा अनूठा संग्रह है, जो इच्छाशक्ति से प्रारंभ होकर उत्तराधिकार तक पहुँचता है। इसमें अर्धांगिनी के अस्तित्व के साथ, उसकी मानसिक पीड़ा और उसके बलिदान भी हैं । इसमें ऐसे लोगों की भी सच्चाई है जो दशकों के अथक प्रयास के बाद भी अपनी वास्तविक पहचान करने और बनाने में असफल हो चुके हैं। इसमें पारंपरिक एवं पौराणिक उत्सवों के विशिष्ट एवं सम्मोहक रंग भी विद्यमान हैं। साथ ही इसमें इसमें नर-नारी संबंध के नवीन आयामों का यथार्थवादी स्पर्श भी शामिल है।इसमें मध्यकालीन युग का गहन दर्शन भी है और आधुनिक युग में भी संरक्षित वास्तविक सम्मान की अभिलाषा भी है। इसमें कार्यशालाओं के औपचारिक संचालन के चित्रण का भी प्रभावशाली समावेश है। इसमें ऐसे अनन्य व्यक्तित्व की खडाऊँ भी है जिसे आज भी पूजा जाता है और संभवत: हमेशा पूजा जाता रहेगा और ऐसे बाबा मृत्युंजय भी हैं जो समग्र विश्व को अमरत्व का वरदान सुलभ कराने के लिए, सदैव भ्रमणशील रहते हैं।आज विश्व के अधिकांश लोग किसी न किसी प्रकार के अंतर्द्वंद्व से जूझ रहे हैं।अत: इस शीर्षक की कथा विशेष प्रासंगिक है। कोई न कोई दोष सबके अंदर है।किंतु जब कोई अपने दोष या दोषों को स्वीकार करते हुए स्वयं अपना उपनाम 'दोषी' रखते हुए कोई सुधारात्मक आचार करता है, तब उसका व्यक्तित्व अविस्मरणीय हो जाता है। कथा 'श्वान' में देशी श्वानों के प्रति जैविक जागरूकता, स्वत: आकर्षित करती है।’क्रोधी’ का क्रोध भी भावों को विचलित करता है।अत: इस कहानी संग्रह की विषय-वस्तु और इसकी भावनाओं एवं संवेदाओं का आयाम विस्तृत और व्यापक है |।इसमें सत्यबोध के साथ विस्मय और सम्मोहन भी है, यथार्थ के साथ स्वप्न भी हैं, पर्वों एवं उत्सवों के रंगों के आकर्षण के साथ पर्वतों की पुकारें भी है और पाठकों की मनोकामनाओं के साथ में रचनाकारों की वेदनाएँ और विवशताएँ भी हैं।

  • Author Name

    Triveni Dubey Manish
  • Return and Refund Policy

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